जश्ने सादिकैन में अकीदत का इज़हार, शायरों ने पेश किए तरही अशआर
– कुरआन की तिलावत से हुई शुरुआत, मौलाना इब्ने अब्बास ने इस्लाम के पैग़ाम को रखा केंद्र में
बाराबंकी। करबला सिविल लाइन स्थित जलसे जश्ने सादिकैन में श्रद्धा और मोहब्बत का माहौल देखने को मिला। महफिल का आगाज मौलाना हिलाल अब्बास की तिलावत-ए-कुरआन से हुआ। मुख्य अतिथि मज़हर अब्बास आब्दी और विशिष्ट अतिथि कर्नल जावेद साहब मंच पर मौजूद रहे। सभा को संबोधित करते हुए मौलाना इब्ने अब्बास ने कहा कि इस्लाम मोहम्मद और उनके अहलेबैत के आदर्श आचरण और सच्चाई से दुनिया तक पहुंचा, न कि तलवार के बल पर। उन्होंने कहा कि दिल में बुराइयों को पालने वाला सादिकैन का सच्चा अनुयायी नहीं हो सकता। जो मोहम्मद स.अ.व. को साधारण इंसान मानते हैं, वे गुमराह हैं, जबकि उन्हें बुलंद समझने वाले ही इस्लाम के दायरे में आते हैं। अंत में मौलाना ने मजलूमों, मोमिनों और देश की अमन-चैन के लिए दुआएं कीं।
शायरों ने तरही कलाम से दी श्रद्धांजलि
ये शरफ कम है क्या दुनियां में ज़माने वालों, दरे सरवर प कई बार बुलाया उसने शेर ने खूब तालियां बटोरी। वहीं महफिल में नज़राने-ए-अकीदत का दौर देर तक चला। डॉ. रज़ा मौरान्वी, हसन फतेहपुरी, अज़ादार अज़्मी लखनवी, कशिश संडीलवी, मेयार जरवली, सुएब अनवर, अज़्मी ज़ैदी, सलीम सिद्दीकी, आरिज़ जरगांवी, कलीम आज़र, राशिद मौरान्वी, मुजफ्फर इमाम, नज़्म लखनवी, मोहम्मद मेहदी बाराबंकवी, हाजी सरवर अली कर्बलाई, जिना जफराबादी और रज़ा मेहदी समेत कई शायरों ने तरही कलाम पेश कर महफिल को रोशन किया।
अतिथियों का हुआ सम्मान
जलसे के समापन पर मौलाना, शायरों और सभी अतिथियों को मोमेंटो व तोहफे देकर सम्मानित किया गया। आयोजक डॉ. मुहिब रिज़वी और उनकी टीम ने सभी का शुक्रिया अदा किया।