

बाराबंकी। झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन और समाजवादी आन्दोलन के अगुआ रहे पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के निधन पर गांधी भवन में शोकसभा का आयोजन किया गया। इस मौके पर समाजवादी चिन्तक एवं गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने कहा कि शिबू सोरेन ने झारखंड में आदिवासियों को जगाने के लिए काफी काम किया था और वह झारखंड के एक लगभग सर्वमान्य नेता थे। झारखंड में उन्होंने आदिवासियों के लिए राजनीति में सहभागी बनाने के लिए कई प्रयास किये। उस वक्त उन्होंने जन-अदालतों का गठन किया और नारा दिया, ‘जमीन का फैसला जमीन में होगा, कोर्ट-कचहरी में नहीं।’ उस दौर में उन्होंने जो जागृति पैदा की उसे भुलाया नही जा सकता। श्री शर्मा ने आगे कहा कि सत्यपाल मलिक हमारे डॉक्टर राममनोहर लोहिया के जमाने से सोशलिस्ट पार्टी की युवा शाखा समाजवादी युवजन सभा के साथी थे और मेरठ कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। तभी से हम लोग का परिचय था। वहां से शुरू हआ उनका सियासी सफर राज्यपाल तक पहुंचा। वह पश्चिम उत्तर प्रदेश में छात्र नौजवानों के नेता थे। उन्होंने बताया कि साल 1967 में जब उ.प्र के मुख्यमंत्री सीबी गुप्ता ने छात्रों की फीस बढाई। तब राजनारायण ने नैनीताल में छात्रों का एक सम्मेलन कराया। जिसमें शामिल जनेश्वर मिश्रा, सत्यपाल मलिक, मुख्तार अनीस, सत्यदेव त्रिपाठी जो अब नहीं हैं उनके साथ मैं भी जेल गया और सजा हुई। श्री मलिक ने कई दलों में राष्ट्रीय पदों की जिम्मेदारी संभाली। वे केन्द्र सरकार में मंत्री और कई राज्यों के राज्यपाल रहे। उनका मूल्यांकन भविष्य में समाज करेगा। उन्होंने तमाम उम्र, कैसी भी राजनीतिक स्थिति, संगति में गुजारे हो, किसी भी पार्टी या पद पर रहे हो, परंतु इनकी बैठक में डॉ लोहिया का फोटो लगा रहा। वह लंबे समय से बीमार थे उनका निधन हमारे पुराने मित्र का दुनिया से जाना है। इस अवसर पर उपस्थित जनों ने दो मिनट का मौन रखकर स्व. शिबू सोरेन और स्व. सतपाल मलिक को श्रद्धांजलि दी तथा उनके परिवार के लिए शोक संवेदनाएं प्रेषित की। सभा में मुख्य रूप से पूर्व विधायक सरवर अली, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह, सलाउद्दीन किदवई, धनंजय शर्मा, सत्यवान वर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, साकेत मौर्य, नीरज दूबे, विजयपाल गौतम, विनोद भारती, मनीेष सिंह, अशोक शुक्ला, जमील उर रहमान, सियाराम वर्मा, अशोक जायसवाल, सभासद शिवा शर्मा आदि कई लोग मौजूद रहे।