एनडीपीएस एक्ट के मुकदमों में दोषियों की पहचान कर हो कार्रवाई – जिलाधिकारी
सरकारी गवाहों की लापरवाही पर विभागीय कार्यवाही की संस्तुति भेजने के दिए निर्देश
बाराबंकी। लोक सभागार में अभियोजन कार्यो की समीक्षा में एनडीपीएस एक्ट के मुकदमों के आरोपितों के दोषमुक्त होने की प्रवृत्ति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि संयुक्त निदेशक अभियोजन, एएसपी व जिला शासकीय अधिवक्ता क्रिमिनल, जुलाई माह में छूटे पांच मुकदमों की बिंदुवार समीक्षा कर जाने कि क्या कहीं इनमें पुलिस अथवा किसी सरकारी गवाह के वास्तविक मुद्दे से अलग बयान दिए जाने का आरोपितों को लाभ मिला ? ऐसे चिन्हित मामलों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति संबंधित के विभागध्यक्ष से की जाए। उन्होंने ऐसे पुलिस या अन्य विभागों के लोगों की अलग से चिन्हित किए जाने की जरूरत बताई जिनके बार-बार आरोपितों को बचाने की मंशा से बयान दिए जा रहे है। समीक्षा के दौरान डीएम ने पाया कि कई मामलों में सरकारी गवाह के कोर्ट के समक्ष पूर्ण तैयारी के साथ बयान दर्ज नहीं कराए जा रहे है। जिसका लाभ बचाव पक्ष उठा रहा है। ऐसे में पूर्ण तैयारी के साथ ही आपराधिक मुकदमों में सरकारी गवाहों के बयान कराए जाने की रणनीति तैयार करके कार्य करने के आदेश दिए।
24 मुकदमों के गवाहों के बयान से पलटने पर दर्ज हुए मुकदमें बैठक के दौरान संयुक्त निदेशक अभियोजन नागेश कुमार दीक्षित ने बताया कि जुलाई माह में थाना कुर्सी के साल 2020 में हुई हत्या की वारदात के सरकार बनाम पुष्पा, कोतवाली नगर में साल 2017 में गैर इरादत हत्या के सरकार बनाम अमरेश, सरकार बनाम जसकरन, सुबेहा के आरोपित विकास सिंह, रामनगर के मोनू रावत, कोतवाली फतेहपुर के आत्महत्या के लिए उकसाने के सरकार बनाम नीरज, सफदरगंज के सुभाष सिंह सहित गंभीर प्रवृत्ति के 16 व पाक्सो व महिला अपराध से जुड़े छह मुकदमें, मुकदमों के वादी व पीड़िता के अपने पूर्व के बयान से पलटने के मामले से छूट गए। इन सभी मामलों में संबंधित मुकदमों को दर्ज कराने वाले लोगों के विरुद्ध कोर्ट में मिथ्या साक्ष्य देने को लेकर मुकदमे दर्ज कराए गए है।
डीएम ने लोनीकटरा थाना में सुल्तानपुर हाइवे जाम करके माननीय उच्च न्यायालय के जस्टिस के काफिले की वारदात में 15 आरोपितों को सजा दिलाने जाने पर प्रसन्नता जताई। बैठक में एएसपी, डीएसओ डाॅ. राकेश कुमार तिवारी आदि शामिल रहे।