गाँधी जयन्ती पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का भव्य आयोजन
साहित्यप्रेमियों ने देर रात तक सुनी रचनाएं, खूब बजी तालियां
कथनी_करनी न्यूज़
बाराबंकी। महात्मा गांधी के 156वीं जयंती के अवसर पर गांधी भवन में 47वां अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत गांधी जीवन दर्शन, मद्य निषेध, कौमी एकता एवं स्वदेशी स्वावलम्बन पर आधारित परिचर्चा से हुई। इस मौके पर सामाजी एवं अदबी शख्सियत चौधरी तालिब नजीब कोकब को मज़ाज़ उर्दू साहित्य अवार्ड और प्रखत गतिकार व कवि प्रियांशु गजेन्द्र को मनु शर्मा हिन्दी साहित्य अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस दौरान छुआ छूत मिटाओं अभियान के तहत समरसता भेज का आयोजन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव अरविंद सिंह गोप ने गांधी की वैचारिकी पर प्रकाश डाला। वहीं सभा की अध्यक्षता पूर्व विधायक सरवर अली खान ने की। तदोपरान्त आयोजित हुए अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरा की अध्यक्षता मो उमैर किदवई और संचालन फ़ैज़ ख़ुमार ने किया। कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में शायरों व कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत की। कवि सम्मेलन व मुशायरा का आकर्षण रहे प्रख्यात गीतकार कवि प्रियांशु गजेन्द्र। प्रियांशु गजेन्द्र ने ओजस्वी प्रस्तुति दी। पूरे कार्यक्रम के दौरान देशभक्ति की कविताएं गूंजती रही। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। लोगों ने तालियां बजाकर कवियों का हौसलाअफजाई किया। प्रियांशु गजेन्द्र ने चित-परिचित अंदाज में अपनी लोकप्रिय कविता ‘कहो युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ कैसा लगता है…।’ सुनाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद उन्होंने पढ़ा, ‘फूलों के दिन, गुढ़हल और बबूलों के दिन, सबके आते हैं दिन, दिन से क्या घबराना, दिन तो आते-जाते हैं।।’ देश के जाने माने शायर डॉ अंजुम बाराबंकवी ने पढ़ा ‘मैं न काटा हूं, न पत्थर हूं, न शीशा फिर भी। मेरे अपने मुझे रस्ते से हटाते क्यूं है।’ शायर शोएब अनवर ने पढ़ा ‘जवान बेटे के लहज़े से हो गया एहसास, जो फस्ल बोई थी अब काटने की बारी है। फ़ैज़ ख़ुमार ने सुनाया- ‘सर यूं तो हजारों है मेरे सामने लेकिन, अफसोस कोई लायक दस्तार नहीं।’ वकार बाराबंकवी ने कहा- ‘मैं तो समझा था कोई ख्वाब सुनहरा देगा, क्या खबर थी वो मुझे नींद को तरसा देगा।’ कवि जागेश्वर रावत ने सुनाया- ‘मोहनदास महात्मा गांधी, कर्मचन्द को अभिनन्दन, माता पुतलीबाई जी को बार-बार मेरा वंदन।’ योगेन्द्र शुक्ल ‘मधुप’ ने सुनाया- ‘धर्म राष्ट्रीयता अमृत रहा सदैव, राजनीति का न विष इसमें मिलाईए। साम्प्रदाय की शराब कर रही है मन खराब, देश के लिए न किसी जाति को पिलाए। इनके अलावा कवि जितेन्द्र श्रीवास्तव ‘जीतू’, फौजान किदवई, असद उमर अंसारी ‘असद’, जनकवि धीरेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘धीरू’, कवि अभिषेक तिवारी ‘रूद्रा’ सहित अन्य शायरों व कवियों ने भी अपने कलाम व रचनाएं प्रस्तुत किए।
पूर्व आई.जी. राजेश पाण्डेय व जस्टिस डीपी सिंह समेत कई विभूतियां हुई सम्मानित
बाराबंकी। गांधी भवन में गुरूवार को गांधी जयन्ती सप्ताह के दूसरे दिन पूर्व आईजी राजेश कुमार पाण्डेय ने चरखा कातकर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी अपनाने का संदेश दिया। वहीं पूर्व न्यायमूर्ति जस्टिस देवी प्रसाद सिंह ने महात्मा गांधी को सदी की महान शख्सियत बताया। कार्यक्रम का संचालन पाटेश्वरी प्रसाद ने किया। इस मौके पर कई विभूतियों को अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। जिनमें प्रमुख रूप से पूर्व आई.जी. राजेश कुमार पाण्डेय को महात्मा गांधी अवार्ड, जस्टिस डी.पी सिंह को जस्टिस रामभूषण मेहरोत्रा विधि अवार्ड, अवध बार एसोसिएशन हाई कोर्ट के अध्यक्ष पंडित एस. चन्द्रा को मधु लिमये अवार्ड, समाजवादी अध्येता बलराज मलिक को डॉ राममनोहर लोहिया अवार्ड, पूर्व मंत्री सैय्यद इंतेजार आब्दी ‘बॉबी को युसूफ मेहर अली अवार्ड, सप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रमेश चन्द्रा को चन्द्रभानु गुप्ता जनसेवा अवार्ड, अरूण नागर को कमलापति त्रिपाठी अवार्ड, पूर्व एमएलसी गोपाल नारायण मिश्रा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड, उ.प्र. कोआपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन धीरेन्द्र कुमार मर्वा को लोकबंधु राजनारायण अवार्ड, समाजवादी नेता हुमायूं नईम खान को कै. अब्बास अली अवार्ड, पूर्व मंत्री एवं राजनेता अरविन्द सिंह गोप को महात्मा गांधी जनसेवा अवार्ड से सम्मानित किया गया। वहीं पूर्व एमएलसी राजेश कुमार यादव, फैज अहमद सिद्दीकी ‘चर्चिल’, शैलेन्द्र राज सिंह, जिला अभियोजन अधिकारी सौरभ वर्मा आदि कई अन्य विभूतियों को सामाजिक सहभागिता सम्मान से सम्मानित किया गया।