बाराबंकी में होगा मिंयावाकी पद्धति से वृहद पौधरोपण

 

जिले की सभी ग्राम पंचायतों में कल होगा मियांवाकी पद्धति से सघन वृक्षारोपण

जनप्रतिनिधियों की भी रहेगी सहभागिता

25 जुलाई को जिले की ग्राम पंचायतों में एक साथ रोपित किये जायेंगे 2.65 लाख पौधे

सभी ग्राम पंचायत में लगाए जाएंगे हरिशंकरी के पौधे

जनपद बाराबंकी में हरियाली बढ़ाने के दृष्टिगत दिनांक कल सभी ग्राम पंचायतों में मियांवाकी पद्धति से एक स्थान पर सघन वृक्षारोपण किया जाएगा। इस अभियान में स्थान या जनप्रतिनिधियों की भी सहभागिता रहेगी। जनपद के 1150 ग्राम पंचायत 1150 स्थलो पर मियांवाकी पद्धति से सघन वृक्षारोपण वन विभाग के सहयोग से कराये जाने की तैयारी कर ली गयी है, जिसमें जनपद 15 विकास खंडों की सभी ग्राम पंचायतों में कुल लगभग 2.65 लाख पौधे दिनांक 25 जुलाई 2025 को रोपित किये जायेगे। इसके अतिरिक्त प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक स्थान पर हरिशंकरी के पौध भी रोपित किए जायेंगे । जिलाधिकारी द्वारा सभी ग्रामवासियों से 25 जुलाई, 2025 को वृक्षारोपण अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लेने तथा अभियान को सफल के अपील की गयी है।

हरिशंकरी वृक्ष के लाभ

हरिशंकरी पौधा एक विशेष प्रकार का पौधा है, जो तीन वृक्षों – पीपल, बरगद और पाकड़ को एक ही स्थान पर इस तरह रोपने से तैयार होता है कि तीनों वृक्षों का संयुक्त छत्र विकसित हो। इसे एक तने के रूप में देखा जा सकता है, जो पौराणिक और औषधीय महत्व रखता है। यह पौधा पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करता है और जैव विविधता को बढ़ावा देता है। इसकी छाया में दिव्य औषधीय गुण और पवित्र आध्यात्मिक प्रवाह होता है, जो आरोग्य और ऊर्जा प्रदान करता है। इसके तीनों वृक्ष तमाम पशु-पक्षियों और जीव-जन्तुओं को आश्रय और खाने को फल प्रदान करते हैं।

मियावकी पद्धति के लाभ

इस पद्धति से वृक्ष तेजी से बढ़ते हैं और जल्दी ही एक घने वन का रूप ले लेते हैं। मियावकी वन कार्बन सिंक के रूप में कार्य करते हैं, जिससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम होती है। ये वन जल संचयन में मदद करते हैं और मिट्टी के क्षरण को रोकते हैं। मियावकी पद्धति पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, खासकर शहरी क्षेत्रों में।
यह पद्धति जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करती है। मियावकी पद्धति भविष्य के लिए एक स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित करती है।

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