उत्तर प्रदेश का दूसरा एम.एस.एन.सी.यू. (MSNCU) मॉडल – जिला महिला चिकित्सालय में प्रारंभ
कथनी_करनी न्यूज़
बाराबंकी। जिला महिला चिकित्सालय, बाराबंकी में उत्तर प्रदेश का दूसरा मदर स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट (MSNCU) बनकर तैयार हो गया है। यह यूनिट इमीडिएट कंगारू मदर केयर (iKMC)* को साकार रूप देने वाली एक ऐतिहासिक पहल है।इस यूनिट का शुभारंभ ज़िला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती राजरानी रावत, ज़िला मजिस्ट्रेट श्री शशांक त्रिपाठी (IAS) एवं मुख्य विकास अधिकारी श्री ए. सूदन(IAS) द्वारा किया गया।
i-KMC का मतलब है कि जन्म के तुरंत बाद विशेष रूप से समय से पहले जन्मे या कम वजन वाले शिशुओं को उनकी माताओं के साथ कंगारू मदर केयर (KMC) में रखा जाए। यह पहल भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संयुक्त प्रयासों तथा ज़ीरो सेपरेशन नीति के अंतर्गत की गई है। ज़िला महिला चिकित्सालय में MSNCU की स्थापना और संचालन में कम्यूनिटी इम्पोवरमेंट लैब (CEL) तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
एमएसएनसीयू (MSNCU) क्या है?
• एम–एसएनसीयू एक ऐसा नवाचार है, जिसमें SNCU में भर्ती शिशुओं को उनकी माताओं के पास ही रखकर उपचार और निगरानी की जाती है।
• ज़ीरो सेपरेशन नीति के तहत, माँ ही शिशु की प्राथमिक देखभालकर्ता बनती है।
• माताएँ नवजात की निगरानी कर सकती हैं और डिस्चार्ज के बाद घर पर देखभाल के लिए बेहतर तैयार हो जाती हैं।
• MSNCU को शिशु रोग विशेषज्ञ तथा, स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ दोनों टीमों के द्वारा संचालित लिया जाता ही।
• स्तनपान और स्तन से दूध निकालने के लिए माताओं को अधिक समर्थन मिलता है।
• शिशु के साथ निरंतर रहने से माताओं में चिंता और तनाव कम होता है। यह यूनिट विशेष रूप से उन शिशुओं के लिए है जिनका जन्म समय से पूर्व हुआ है या जिनका वजन जन्म के समय कम (<2500 ग्राम तक) है।
• शिशुओं को उनकी माताओं के साथ त्वचा से त्वचा संपर्क (Skin-to-Skin Contact) में रखा जाता है।
• प्रशिक्षित नर्सों और डॉक्टरों की देखरेख में माँ–शिशु की देखभाल एक ही कक्ष में होती है।
इस पहल के लाभ
• नवजात की सुरक्षा – तापमान नियंत्रित रहता है, संक्रमण और हाइपोथर्मिया से बचाव होता है।
• तेज़ वजन वृद्धि – शिशु का पोषण और विकास बेहतर होता है।
• एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग – माँ को स्तनपान कराने का पर्याप्त समय और अवसर मिलता है।
• माँ–शिशु जुड़ाव – भावनात्मक संबंध गहरा होता है, जिससे दोनों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
• रेफ़रल में कमी – अब स्थिर कमजोर शिशुओं का उपचार जिला महिला चिकित्सालय में ही संभव होगा।
• अस्पताल पर भार कम – केवल गंभीर और अत्यधिक कम वजन वाले शिशुओं को उच्च स्तर पर रेफ़र करना होगा।
महत्व
बाराबंकी के जिला अस्पतालों में मातृ–शिशु स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। इस पहल से न केवल नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम होगी बल्कि ग्रामीण और शहरी – दोनों क्षेत्रों की माताओं को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त होंगी।
जिला प्रशासन का संदेश