“पर ब्लॉक वन क्रॉप” से यूपी बनेगा एक ट्रिलियन वाला प्रदेश

अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डालर पहुंचाने का लक्ष्य 700 विकास खण्ड चयनित

औद्यानिक विशिष्ट फसलों के क्रियान्वयन में जुटा

यूपी बनेगा एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में उ‌द्यानिकी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका है। पारंपरिक फसलों की तुलना में उ‌द्यानिकी फसलें प्रति एकड़ अधिक उत्पादन और आय देती हैं, इनका जीवनचक्र छोटा होता है और ये प्रसंस्करण, निर्यात और कृषि उ‌द्यमिता से सीधा जुड़ा हुआ क्षेत्र है। इससे न केवल किसानों की आय में वृ‌द्धि होती है, बल्कि नर्सरी, इनपुट आपूर्ति, कोल्ड चेन, प्रोसेसिंग और खुदरा जैसे अनेक स्तरों पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होते हैं। यदि प्रदेश में उ‌द्यानिकी क्षेत्रफल को विस्तार देकर बाज़ार से बेहतर जोड़ दिया जाए, तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही राज्य की कृषि जीडीपी में भारी वृ‌द्धि कर सकता है। उक्त जानकारी जिला उद्यान अधिकारी प्रज्ञा उपाध्याय ने दी। उन्होंने बताया कि गोष्ठी के माध्यम से किसानो को औद्यानिक विकास के गुरु सिखाये जा रहे है। जिससे किसान सुखी और सम्पन्न होने के साथ देश और प्रदेश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

“पर ब्लॉक वन क्रॉप” प्रोग्राम

“पर ब्लॉक वन क्रॉप” कार्यक्रम, उ‌द्यानिकी क्षेत्र को संरचित ढंग से बढ़ाने और किसानों की आय में वृद्धि का एक प्रभावी माध्यम है। इस पहल के अंतर्गत प्रत्येक ब्लॉक में एक प्रमुख फसल पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जाएगा। जो उस क्षेत्र की जलवायु, बाजार मांग और कृषकों की प्राथमिकता के अनुसार होगी। “पर ब्लॉक वन क्रॉप” का अर्थ यह नहीं है कि हम केवल एक ही फसल तक सीमित हैं। यह कार्यक्रम चयनित फसल के लिए क्षेत्र में एक अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर केंद्रित है, जिससे अन्य उद्‌द्यानिकी फसलो का भी समानांतर विकास हो सके। इस कार्यक्रम का उ‌द्देश्य है कि तकनीकी मार्गदर्शन, प्रदर्शन प्लॉट, नर्सरी, एफपीओ, प्रोसेसिंग और विपणन जैसी पूरी मूल्य श्रृंखला को गांव स्तर तक विकसित किया जाए। इससे उ‌द्यानिकी क्षेत्रफल और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी से प्रदेश की एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की दिशा में ठोस प्रगति संभव होगी।

इस कार्यक्रम का उ‌द्देश्य है एक सशक्त पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) का निर्माण करके गुणवत्तापूर्ण पौध सामग्री उपलब्ध कराना, फसल विशिष्ट यंत्रीकरण, तकनीकी मार्गदर्शन और बाजार व प्रसंस्करण से जोड़ना शामिल है।­

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top